rajesh jethloja

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Friday, 29 August 2014

ganesh chaturthi ke pavan avsar pe aapko ganesh bhgvan ki kudrati aakruti sankh me pragat hui dekhe aapka jivan me hamesa riddhi siddhi or ganpati ki kripa rahe jay gajanand

Wednesday, 27 August 2014

rajesh

Tuesday, 26 August 2014

Friday, 22 August 2014

Wednesday, 6 August 2014

रक्षा बंधन के पर्व की वैदिक विधि -वैदिक रक्षा सूत्र बनाने की विधि : इसके लिए ५ वस्तुओं की आवश्यकता होती है - (१) दूर्वा (घास) (२) अक्षत (चावल) (३) केसर (४) चन्दन (५) सरसों के दाने । इन ५ वस्तुओं को रेशम के कपड़े में लेकर उसे बांध दें या सिलाई कर दें, फिर उसे कलावा में पिरो दें, इस प्रकार वैदिक राखी तैयार हो जाएगी । इन पांच वस्तुओं का महत्त्व - (१) दूर्वा - जिस प्रकार दूर्वा का एक अंकुर बो देने पर तेज़ी से फैलता है और हज़ारों की संख्या में उग जाता है, उसी प्रकार मेरे भाई का वंश और उसमे सदगुणों का विकास तेज़ी से हो । सदाचार, मन की पवित्रता तीव्रता से बदता जाए । दूर्वा गणेश जी को प्रिय है अर्थात हम जिसे राखी बाँध रहे हैं, उनके जीवन में विघ्नों का नाश हो जाए । (२) अक्षत - हमारी गुरुदेव के प्रति श्रद्धा कभी क्षत-विक्षत ना हो सदा अक्षत रहे । (३) केसर - केसर की प्रकृति तेज़ होती है अर्थात हम जिसे राखी बाँध रहे हैं, वह तेजस्वी हो । उनके जीवन में आध्यात्मिकता का तेज, भक्ति का तेज कभी कम ना हो । (४) चन्दन - चन्दन की प्रकृति तेज होती है और यह सुगंध देता है । उसी प्रकार उनके जीवन में शीतलता बनी रहे, कभी मानसिक तनाव ना हो । साथ ही उनके जीवन में परोपकार, सदाचार और संयम की सुगंध फैलती रहे । (५) सरसों के दाने - सरसों की प्रकृति तीक्ष्ण होती है अर्थात इससे यह संकेत मिलता है कि समाज के दुर्गुणों को, कंटकों को समाप्त करने में हम तीक्ष्ण बनें । इस प्रकार इन पांच वस्तुओं से बनी हुई एक राखी को सर्वप्रथम भगवान -चित्र पर अर्पित करें । फिर बहनें अपने भाई को, माता अपने बच्चों को, दादी अपने पोते को शुभ संकल्प करके बांधे । इस प्रकार इन पांच वस्तुओं से बनी हुई वैदिक राखी को शास्त्रोक्त नियमानुसार बांधते हैं हम पुत्र-पौत्र एवं बंधुजनों सहित वर्ष भर सूखी रहते हैं । राखी बाँधते समय बहन यह मंत्र बोले – येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल: | तेन त्वां अभिबन्धामि रक्षे मा चल मा चल || शिष्य गुरु को रक्षासूत्र बाँधते समय – ‘अभिबन्धामि ‘ के स्थान पर ‘रक्षबन्धामि’ कहे | और चाकलेट ना खिलाकर भारतीय मिठाई या गुड से मुहं मीठा कराएँ। अपना देश अपनी सभ्यता अपनी संस्कृति अपनी भाषा अपना गौरव  वन्दे मातरम्..पाटिदार हित रक्षा समिति गुजरात प्रदेश 
प्रमुख राजेश जेठलोजा मो.९९९८०५४९२४

Saturday, 2 August 2014

FRIENDSHIP DAY...
Friends 3rd August is a FRIENDSHIP DAY.... 
so here is some lines for may all dear sweet friends 

खुशी भी दोस्तो से है 
गम भी दोस्तो से है
तकरार भी दोस्तो से है
प्यार भी दोस्तो से है
रुठना भी दोस्तो से है
मनाना भी दोस्तो से है
बात भी दोस्तो से है
मिसाल भी दोस्तो से है
नशा भी दोस्तो से है
शाम भी दोस्तो से है
मौहब्बत भी दोस्तो से है
इनायत भी दोस्तो से है
💕 काम भी दोस्तो से है 💕
नाम भी दोस्तो से है
ख्याल भी दोस्तो से है
अरमान भी दोस्तो से है
ख्वाब भी दोस्तो से है
माहौल भी दोस्तो से है
यादे भी दोस्तो से है
सपने भी दोस्तो से है 
 अपने भी दोस्तो से है 
 या यूं कहो यारो

अपनी तो दुनिया ही दोस्तो से है


पहले लोग गौ पालन करते थे तो देश सोने का चिड़ियाँ था .....
अब लोग कुत्ता पालन करने लगे है देश काँच का कबबूतर बन गया है !

लोग कुत्ते के पीले को पालने और देखभाल करने मे अपना समय व्यतीत कर रहे है ,
और उनके खूद के बच्चे अब क्या कहें